Friday, 26 September 2008

अद्वय का बचपन


सुबह सुबह अद्वय उठकर , अपना खेल दिखाते हे
चस्मा पहने फोटो खिचवाते , हीरो सा सकल बनाते है
नकली खिलोने उन्हें न भाते , मोबाइल कान लगाते है
घर मे चारो ओर दोर्रते, काफी व्यस्त दिखाते है
खुश होते तो दादा दादी वन टू थ्री सुनाते है
मिनटों में नाखुस होते ही सब कुछ फेंक दिखाते है
मम्मी इन्ही के नींद से जगती अद्वय के संग खेला करती
दिन भर पीछे पीछे दौरे क्या फेके क्या तोरे है
हम सब भी इनकी सुधि लेने को दिन भर आतुर दीखते है
नानी कंप्यूटर खोलती अद्वय से बांते करती हैं
नानी की हामी भरते है जैसे सभी समझते है
मौसी उस से बांते करती, हंस हंस उत्तर देते है
सब की नक़ल उतारा करते , चेहरे का रूप बदलते हैं
बालपन इनका बीत रहा , बुद्धि के कुशल दीखते है
छोठी उमर में सब कुछ समझे टीवी खोल के देखे हैं
मम्मी पापा के संग घुमे, सबकी नज़रे परखे हैं
सभी की ओर यु हाथ बढाते जैसे सब परिचित लगते हैं
इनकी छवि सबको प्यारी, सब इन्हें देख खुश होते हैं
पापा के संग खेला करते पापा के संग हँसते हैं
नाना कविता सुना सुना कर, इनको खुश कर देते है

नेहा रानी




मेरी बिटिया नेहा रानी नेह लगा कर चली गयी


हम सब उसकी बाट जोहते पर वोह लन्दन की भई


कहती डालर में पगार मिलता नही किसी की चिंता है


मौसम बरा सुहाना यहाँ का सब कुछ अच्हा लगता है


बचपन में नेहा चंचल थी दादी की पोती दुलारी थी


चाचा की प्यारी मौसी थी घर भर की वो प्यारी थी


उसकी बहादुरी के किस्से सुन कर सभी अचम्भा करते


कभी नही घबरायी वह चाहे विषम परिस्थिति होती


दिल्ली टेशन पर बचपन में चूथि पापा के तो होश ऊर गए


पापा से पहले टैक्सी से पहुची देख अचम्भित सभी रह गए
खेल कूद में वोह माहिर थी फैशन करना उसको आता
पर रिजल्ट उसका लेने जो जाता, संघ उसके वोह डाटा जाता

बचपन में जब स्कूल जाती , नए आइटम माँगा करती


कहती आज पुआ ले जाना मम्मी चची उससे डरती


स्कूल की शिसका पुरी करते कलकत्ता का टिकेट कराया कहती पाक - विद्या सीखेंगे होटल स्कूल में नाम लिखाया
ट्रेनिंग के बहाने लन्दन आ गई कहती अभी यही रहना हे अभी अभी तो लन्दन आए नए नए अनुभव लेना है
पल्ली दीदी की नेक सलाह उसे नही भाति हे दीदी जीजा अद्वय के संघ बातें कर कुश हो जाती है


नानी पूछे कब आयेगी समाचार सुन खुश हो जाती मामा हाल जानने को उक्सुक मामी उसकी बाट जोहती दिन में उसका हाल मिले ना मम्मी व्याकुल हो जाती हे पापा को उसका समाचार सुने बिन नीद नही आती है


मम्मी कहती वापस आजा बेटा, नेहा कहती आ जायेंगे अपना वतन परिवार हे अपना कभी भुला न पाएंगे