चस्मा पहने फोटो खिचवाते , हीरो सा सकल बनाते है
नकली खिलोने उन्हें न भाते , मोबाइल कान लगाते है
घर मे चारो ओर दोर्रते, काफी व्यस्त दिखाते है
खुश होते तो दादा दादी वन टू थ्री सुनाते है
मिनटों में नाखुस होते ही सब कुछ फेंक दिखाते है
मम्मी इन्ही के नींद से जगती अद्वय के संग खेला करती
दिन भर पीछे पीछे दौरे क्या फेके क्या तोरे है
हम सब भी इनकी सुधि लेने को दिन भर आतुर दीखते है
नानी की हामी भरते है जैसे सभी समझते है
मौसी उस से बांते करती, हंस हंस उत्तर देते है
बालपन इनका बीत रहा , बुद्धि के कुशल दीखते है
छोठी उमर में सब कुछ समझे टीवी खोल के देखे हैं
मम्मी पापा के संग घुमे, सबकी नज़रे परखे हैं
सभी की ओर यु हाथ बढाते जैसे सब परिचित लगते हैं
इनकी छवि सबको प्यारी, सब इन्हें देख खुश होते हैं
पापा के संग खेला करते पापा के संग हँसते हैं