सुबह सुबह अद्वय उठकर , अपना खेल दिखाते हे
चस्मा पहने फोटो खिचवाते , हीरो सा सकल बनाते है
नकली खिलोने उन्हें न भाते , मोबाइल कान लगाते है
घर मे चारो ओर दोर्रते, काफी व्यस्त दिखाते है
खुश होते तो दादा दादी वन टू थ्री सुनाते है
मिनटों में नाखुस होते ही सब कुछ फेंक दिखाते है
मम्मी इन्ही के नींद से जगती अद्वय के संग खेला करती
दिन भर पीछे पीछे दौरे क्या फेके क्या तोरे है
हम सब भी इनकी सुधि लेने को दिन भर आतुर दीखते है
चस्मा पहने फोटो खिचवाते , हीरो सा सकल बनाते है
नकली खिलोने उन्हें न भाते , मोबाइल कान लगाते है
घर मे चारो ओर दोर्रते, काफी व्यस्त दिखाते है
खुश होते तो दादा दादी वन टू थ्री सुनाते है
मिनटों में नाखुस होते ही सब कुछ फेंक दिखाते है
मम्मी इन्ही के नींद से जगती अद्वय के संग खेला करती
दिन भर पीछे पीछे दौरे क्या फेके क्या तोरे है
हम सब भी इनकी सुधि लेने को दिन भर आतुर दीखते है
नानी कंप्यूटर खोलती अद्वय से बांते करती हैं
नानी की हामी भरते है जैसे सभी समझते है
मौसी उस से बांते करती, हंस हंस उत्तर देते है
नानी की हामी भरते है जैसे सभी समझते है
मौसी उस से बांते करती, हंस हंस उत्तर देते है
सब की नक़ल उतारा करते , चेहरे का रूप बदलते हैं
बालपन इनका बीत रहा , बुद्धि के कुशल दीखते है
छोठी उमर में सब कुछ समझे टीवी खोल के देखे हैं
मम्मी पापा के संग घुमे, सबकी नज़रे परखे हैं
सभी की ओर यु हाथ बढाते जैसे सब परिचित लगते हैं
इनकी छवि सबको प्यारी, सब इन्हें देख खुश होते हैं
पापा के संग खेला करते पापा के संग हँसते हैं
बालपन इनका बीत रहा , बुद्धि के कुशल दीखते है
छोठी उमर में सब कुछ समझे टीवी खोल के देखे हैं
मम्मी पापा के संग घुमे, सबकी नज़रे परखे हैं
सभी की ओर यु हाथ बढाते जैसे सब परिचित लगते हैं
इनकी छवि सबको प्यारी, सब इन्हें देख खुश होते हैं
पापा के संग खेला करते पापा के संग हँसते हैं
नाना कविता सुना सुना कर, इनको खुश कर देते है
7 comments:
v nice papa lekin typist ka no kab ayega???
Mama, this is great effort and wonderful poems..very impressive and reminds me of Nana's style of writing. proud of you. Guddi
nice poem papa itna senti hai hum jaldi aa jayenge
whn i read this i feel whtever u observe while talkin to advay online u have written all...u have not missed a single thing....:-)i am sure whn advay grows up he gonna like this a lotz....
great job badepapa..
Beautiful poem.Advay is so much like my 2 year old in naughtiness :)
Very nice poem....
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