Sunday 27 December 2009

Poem for New Year 2010

हैप्पी न्यू इयर २०१०


नदी के par यदि जाना है,नैया का सहारा मिलता है,


माझी चल देता लेकर के ,अति शीघ्र किनारा मिलता है


सर्दी गर्मी या वर्ष हो,नैया सब सहती रहती है


अँधियारा वियावान में भी अपना तट ढून्ढ ही लेती है


गोवा केरल या कश्मीर ,संस्कृति झलकती नैया पर


नैया उनका जीवन यापन ,नैया पर बसा है उनका घर


संगम के पवन तीरथ में नैया से दुबकी लगते हैं


कशी के घटो का दर्शन नैया ही शुलभ करते हैं


भगवन चले थे वन को नैया ने पार उतारा


नदी किनारे रहने वालो का आज भी वोही सहारा


मंगल और चाँद की धरती पर,झंडा अपना गार दिखाए


पर नदी paar करनी हो bhaiyaa, naav ही पार कराये


सहने की चमता से अधिक वजन नैया उठा ना paati है


संतुलन बिगर जाये राहों में,मिनटों में पलता खाती है


जीवन की नैया भी हम सब की बाधाएं देख घबराती है


धैर्य और हौसला हो तभी सब मुस्किल दूर हो जाती है,


जीवन की इस नैया को भवरों से हमें बचाना है


MENHAT aur लगन से apne लक्ष्य पर इसे पहुचना है,


कठिन घरी है,सफ़र है दुर्गम एकाग्रता अपनाना है


राम की naiya राम खवैया BEERAA PAAR लगाना है


..२०१०.अल्लाहाबाद.




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