नेहा की मम्मी
बार बार मुझसे कहती थी , मेरे पर कविता लिख देना
मेरी तारीफ़ कभी किये ना, इसी बहाने कुछ कर लेना
कविता का यह विषय कहा है, यह तो पुरी कहानी है
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
पल्लवी को मैड नहीं मिल पाई, कैसे उसका काम चलेगा
दीदी सिंगापुर मई अकेले, कैसे सारा काम निपटेगा
स्वाति भी थक जाती बिचारी, फिर भी हार ना मानी है
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
बच्चो का समाचार नहीं मिले, तो वह व्याकुल हो जाती है
समाचार जब पा जाती है तो नीद उन्हें आ जाती है
सबकी चिंता करती रहती, किसी की बात ना मानी है
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
शीला के बच्चे की शादी, उषा की लड़की कवारी है
कैसे भगवान् पार करेंगे, बोझ उन्ही पर भारी है
टीवी खोल प्रवचन सुन लेती, भगवत की दीवानी है
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
धर्मभीरु है पूजा-पाठ, भगवान् की चिंता रहती है
जितने देव मंदिर मे विराजे, सभी की आरती करती है
सबकी चालीसा परणी है, फिर कुछ भोजन लेनी है
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
हिम्मत इतना की ब्रेन हेमोर्रज हस्ते हस्ते झेल दिखाया
देवी का पाठ पूरा किया, फिर अपना इलाज़ कराया
जान पर खेलकर पूजा करना, यह उनकी नादानी है
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
शाकाहारी बिलकुल है, पर पहले कहती सब खाते थे
नानवेज तो हमी पकाते, छक्क्ने मे सब खा जाते थे
खाना सभी पसँद करते है, पाक विद्धा की ज्ञानी है
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
चारो धाम का तीर्थ कर लिया, गेश ब्रहमन भी उन्हें कराया
कठिन डगर पर दुर्गम पथ पर, यात्रा पूरी कर दिखाया
कहती विदेश ब्रह्मण पर जाना, लगती बरी सयानी है न
नेहा की तो मम्मी है, अद्वय - दर्श की नानी है
बस्ती - १२ - ७ - २०१३
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