Sunday, 27 August 2017

ghazipur ki yatra

                             
                           ग़ाज़ीपुर की यात्रा 

वाइफ के संग ग़ाज़ीपुर जाने को, मेट्रो से टेशन को निकला 
तभी राम रहीम के चेलो की अराजकता का, समाचार दूरदर्शन पर मिला 
बच्चे सब घबड़ा उठे ,मोबाइल पर फ़ोन मिलाते 
कहने लगे प्रोग्राम कैंसिल कर, जल्दी से घर को आ जाते 
नेहा कहती मेट्रो बदले, जल्दी गुरुग्राम में आये 
यहाँ पहुंच हमको सूचित कर,आप सुरक्षित ठिकाना पाएं 
पल्ली ने रौद्र रूप ले, फ़ोन पर हमको डांट पिलाया 
प्रियंका ने सिंगापुर से, वापस लौटने की कसम दिलाया 
 बच्चे जब मम्मी से पूछे, आपने क्यों प्रोग्राम बनाया 
मम्मी कहती मुझे न मालुम, बिन पूछे जांचे मुझे भी लाया 
मै  कब गांव  जाना चाहती,  मुझे कभी कुछ भी न बताया  
मै तो डोर से बंधी बंदरिया ,जैसे चाहे नाच नचाया 
नयनी ,नयन, गरिमा ,मुक्ता, मानसी, सिमरन का भी फ़ोन आया 
हमें लगा चीन ना  माना, उसने भारत पर बम गिराया
इतने फ़ोन सुन के घबराये, हमको भी टेंशन में लाया 
पैंसठ वर्ष के हुए हम, दंगा और आंदोलन को देखा 
दैनिक रूटीन कभी न रुका, अपनी सुरक्षा हमने सीखा 
इतने बड़े इस देश में, ऐसे आंदोलन होते रहते 
कितनी सम्पति जल जाती, कितने वेवजह जान भी देते 
इन बातो से बिन घबराये, देश का जीवन चलता रहता 
जो होना है हो के रहेगा, कोई उसे टाल न सकता 
ग़ाज़ीपुर का प्रोग्राम कैंसिल कर, कौशाम्बी में रात बिताया 
बच्चे  हो गए खुस संतुष्ट, लौट के बुधु घर को आया  
२६-०८-२०१७  


tia teen varsh ki

टिया तीन वर्ष की 


तीन वर्ष की हुई टिया,अपना जन्मदिन मनाएगी
अपने हाव भाव दिखा कर वह, सबको खुश कर जाएगी
दादी की पोती है लाड़ली,अच्छे संस्कार सिखलाया
खेल के साथ उसे पढ़ाती,सबका प्रिय है उसे बनाया
पर दादी की हिटलर है वह, दादी को वह हुकुम सुनाती 
अपनी ज़िद पूरी करती वह ,अपनी बातेँ भी मनवाती 
दददू के संग उधम करती ,दददू को वह खूब दौड़ाती 
उनका  सब दुःख भूल भाल  कर,अपनी हा में हा करवाती 
मम्मी पापा डांट कर बोले, उनको भी वह चुप करवाती 
धीरे बोलो सब सुन लेती, उन्हें इशारो में समझाती 
मम्मी पापा हंस देते है ,उन्हें भी शिक्षित ये कर जाती 
सुबह सुबह तैयार हो जाती, दादी को संग नीचे लाती 
जल्दी कर दो मेरी दादी, बस के पहले वह आ  जाती 
रोना जब वह शुरू कर देती, साढ़े साती उसपर आती 
पूरा जोर लगाती है वह, मुश्किल से वह शांत हो पाती 
धर्मशाला में अदवये दर्श के संग, उसने अच्छा समय बिताया 
खेला कूदा नक़ल उतारा, उनके संग में नाचा गाया 
बच्ची प्रतिभाशाली है वह ,दादी सा शिक्षक वह पाया 
योग प्रार्थना  सब कुछ करती, जीवन अपना सफल बनाया 

                                      २६। ०८। २०१७                      जी ,के ,श्रीवास्तव