ग़ाज़ीपुर की यात्रा
वाइफ के संग ग़ाज़ीपुर जाने को, मेट्रो से टेशन को निकला
तभी राम रहीम के चेलो की अराजकता का, समाचार दूरदर्शन पर मिला
बच्चे सब घबड़ा उठे ,मोबाइल पर फ़ोन मिलाते
कहने लगे प्रोग्राम कैंसिल कर, जल्दी से घर को आ जाते
नेहा कहती मेट्रो बदले, जल्दी गुरुग्राम में आये
यहाँ पहुंच हमको सूचित कर,आप सुरक्षित ठिकाना पाएं
पल्ली ने रौद्र रूप ले, फ़ोन पर हमको डांट पिलाया
प्रियंका ने सिंगापुर से, वापस लौटने की कसम दिलाया
बच्चे जब मम्मी से पूछे, आपने क्यों प्रोग्राम बनाया
मम्मी कहती मुझे न मालुम, बिन पूछे जांचे मुझे भी लाया
मै कब गांव जाना चाहती, मुझे कभी कुछ भी न बताया
मै तो डोर से बंधी बंदरिया ,जैसे चाहे नाच नचाया
नयनी ,नयन, गरिमा ,मुक्ता, मानसी, सिमरन का भी फ़ोन आया
हमें लगा चीन ना माना, उसने भारत पर बम गिराया
इतने फ़ोन सुन के घबराये, हमको भी टेंशन में लाया
पैंसठ वर्ष के हुए हम, दंगा और आंदोलन को देखा
दैनिक रूटीन कभी न रुका, अपनी सुरक्षा हमने सीखा
इतने बड़े इस देश में, ऐसे आंदोलन होते रहते
कितनी सम्पति जल जाती, कितने वेवजह जान भी देते
इन बातो से बिन घबराये, देश का जीवन चलता रहता
जो होना है हो के रहेगा, कोई उसे टाल न सकता
ग़ाज़ीपुर का प्रोग्राम कैंसिल कर, कौशाम्बी में रात बिताया
बच्चे हो गए खुस संतुष्ट, लौट के बुधु घर को आया
२६-०८-२०१७
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